गरल धरा का पीने दो
गरल धरा का पीने दो
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मानव दानव मत बन ,
मुझे भी जीने दो ,
गरल धरा का पीने दो।।
कम हुई मेरी आबादी ,
निज स्वार्थ को अपनाने से,
गांव शहर सब बदल दिए ,
पक्के घर सड़क बनाने से ।
पानी भी तो पीने दो ।।
भीषण गर्मी कड़क ठंड ,
नित आबादी बाढ़ झलक ।
धन जन हानि होती ,
नहि जीने की बची ललक ।
फिर जख्मों को सीने दो।।
शुद्ध हवा जल देता रहता,
मैं निज धर्म निभाता हूं ।
तू भुला धर्म भाव को अपने,
भावी पीढ़ी खो देता हूं ।
लगा खून पीने दो। ।
मुझे काटने वाले कटते ,
मार मुझे मर जाओगे ।
मानव मुझे समझ लो,
वर्ना खुद मिट जाओगे ।
जीवन मुझे बचाने दो ।
गरल धरा का पीने दो ।।
मुझे भी जीने दो ।
विश्व पर्यावरण दिवस की शुभकामनाएं
स्वरचित व मौलिक
डॉक्टर आर बी पटेल "अनजान "
शिक्षक व साहित्यकार
आकाशवाणी, दूरदर्शन गीतकार
छतरपुर मध्य प्रदेश।